लखीमपुर लखनऊ अलीगढ वाराणसी आगरा आजमगढ़ इटावा एटा उन्नाव कनौज कानपूर कासगंज गोरखपुर गाजीपुर कुशीनगर कौशांबी गाज़ियाबाद गौतमबुद्ध नगर चंदौली चित्रकूट जालौन जौनपुर झाँसी देवरिया पीलीभीत प्रतापगढ़ प्रयागराज फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूँ बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बारांबकी बिजनौर बुलंदशहर भदोही मऊ मथुरा महाराजगंज महोबा मिर्ज़ापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली ललितपुर शाहजहांपुर श्रावस्ती संत कबीर नगर संत रविदास नगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस अन्य
Latest news

विज्ञापन

केले की खेती करने वाले किसान जान लें ये जरूरी बातें जिससे फसल देगी और ज्यादा मुनाफा।।

By: दीप मिश्रा संपादक

On: Monday, July 21, 2025 10:58 AM

Google News
Follow Us

केले की खेती। उत्तरप्रदेश में मुख्यतः किसान गन्ने की खेती को अधिक करते हैं क्योंकि गन्ने की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है मगर अब धीरे धीरे किसानों की सोच में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। क्योंकि किसान अब गन्ने की खेती को छोड़कर केले की फसल को बढ़ावा दे रहे है और लगातार केले की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण यह है कि केले की खेती गन्ने की अपेक्षा कई गुना ज्यादा मुनाफा देती है।

अचानक अस्पताल पहुंचा विधायक और गरीब मरीज के लिए कर दिया ऐसा ऐलान की डॉक्टर देखते रह गए।। VIDEO

गन्ने की खेती करने वाले किसानों को कई दिनों तक भुगतान का इंतजार करना पड़ता है कभी कभी तो भुगतान के लिए पूरा साल लग जाता है वहीं बात करें केले की खेती करने वाले किसानों की तो इनको भुगतान की कोई समस्या नहीं रहती है। केले की फसल जैसे ही कटकर खेत से बाहर होती है तुरंत इन्हें भुगतान मिल जाता है। जिससे जिससे इस फसल को लगाने के लिए किसानों को और मन लगता है। मगर केले की खेती करने वाले अब भी अधिकांश किसान ऐसे है जिन्हें इस फसल को पूर्ण रूप से बेहतर तैयार करने की जानकारी नहीं है तो चलिए आज आपको केले की खेती हेतु कुछ उपयोगी जानकारी बताते है।

निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश पर सीएम योगी की नजरें टेढ़ी, 15 दिन के भीतर मांगा गया जवाब।।

जलवायु और भूमि का चयन

  • जलवायु: केला उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छा होता है। तापमान 20°C से 35°C के बीच उपयुक्त होता है।
  • भूमि: अच्छी जलनिकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी श्रेष्ठ होती है। pH मान 6 से 7.5 के बीच उचित है।

खेत की तैयारी

  • खेत को गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं।
  • 10-15 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद डालें।
  • जलनिकासी की अच्छी व्यवस्था रखें।

शादी में हेलीकॉप्टर की बुकिंग में कितना आता है खर्च और किस तरह से करें बुकिंग?

रोपाई का समय और दूरी

  • उत्तरी भारत: फरवरी–मार्च या जुलाई–अगस्त
  • दक्षिण भारत: पूरे साल रोपाई संभव
  • पौधों के बीच की दूरी: 6×6 फीट या 7×5 फीट

सिंचाई

  • पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें।
  • गर्मियों में 7–10 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 10–15 दिन पर सिंचाई करें।
  • ड्रिप इरिगेशन बेहतर होता है – जल और उर्वरक दोनों की बचत।

रोग और कीट नियंत्रण

  • सिगाटोका रोग: पत्तियों पर धब्बे – नियंत्रित करने के लिए फफूंदनाशक छिड़कें।
  • पैंथ बोरर: तने में कीड़ा – क्लोरोपायरीफॉस या थायमेथोक्सम का छिड़काव करें।
  • नेमाटोड: जड़ों को नुकसान – नीमखली और जैविक नियंत्रण अपनाएं।

कटाई और उपज

  • रोपाई के 10–12 महीने में कटाई।
  • जब फल थोड़ा पीला होने लगे और फल का आकार पूर्ण हो जाए तभी कटाई करें।
  • प्रति पौधा 20–30 किलोग्राम उपज संभव।

यूपी के इस जिले में आज भी मौजूद है तुलसीदास जी द्वारा हस्त लिखित सुंदरकांड की प्रतिलिपि।।

विज्ञापन

For Feedback - pratibhatimes1@gmail.com

Join WhatsApp

Join Now

Join you tube

Subscribe

Leave a Comment