केले की खेती। उत्तरप्रदेश में मुख्यतः किसान गन्ने की खेती को अधिक करते हैं क्योंकि गन्ने की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है मगर अब धीरे धीरे किसानों की सोच में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। क्योंकि किसान अब गन्ने की खेती को छोड़कर केले की फसल को बढ़ावा दे रहे है और लगातार केले की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण यह है कि केले की खेती गन्ने की अपेक्षा कई गुना ज्यादा मुनाफा देती है।
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गन्ने की खेती करने वाले किसानों को कई दिनों तक भुगतान का इंतजार करना पड़ता है कभी कभी तो भुगतान के लिए पूरा साल लग जाता है वहीं बात करें केले की खेती करने वाले किसानों की तो इनको भुगतान की कोई समस्या नहीं रहती है। केले की फसल जैसे ही कटकर खेत से बाहर होती है तुरंत इन्हें भुगतान मिल जाता है। जिससे जिससे इस फसल को लगाने के लिए किसानों को और मन लगता है। मगर केले की खेती करने वाले अब भी अधिकांश किसान ऐसे है जिन्हें इस फसल को पूर्ण रूप से बेहतर तैयार करने की जानकारी नहीं है तो चलिए आज आपको केले की खेती हेतु कुछ उपयोगी जानकारी बताते है।
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जलवायु और भूमि का चयन
- जलवायु: केला उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छा होता है। तापमान 20°C से 35°C के बीच उपयुक्त होता है।
- भूमि: अच्छी जलनिकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी श्रेष्ठ होती है। pH मान 6 से 7.5 के बीच उचित है।
खेत की तैयारी
- खेत को गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं।
- 10-15 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद डालें।
- जलनिकासी की अच्छी व्यवस्था रखें।
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रोपाई का समय और दूरी
- उत्तरी भारत: फरवरी–मार्च या जुलाई–अगस्त
- दक्षिण भारत: पूरे साल रोपाई संभव
- पौधों के बीच की दूरी: 6×6 फीट या 7×5 फीट
सिंचाई
- पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें।
- गर्मियों में 7–10 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 10–15 दिन पर सिंचाई करें।
- ड्रिप इरिगेशन बेहतर होता है – जल और उर्वरक दोनों की बचत।
रोग और कीट नियंत्रण
- सिगाटोका रोग: पत्तियों पर धब्बे – नियंत्रित करने के लिए फफूंदनाशक छिड़कें।
- पैंथ बोरर: तने में कीड़ा – क्लोरोपायरीफॉस या थायमेथोक्सम का छिड़काव करें।
- नेमाटोड: जड़ों को नुकसान – नीमखली और जैविक नियंत्रण अपनाएं।
कटाई और उपज
- रोपाई के 10–12 महीने में कटाई।
- जब फल थोड़ा पीला होने लगे और फल का आकार पूर्ण हो जाए तभी कटाई करें।
- प्रति पौधा 20–30 किलोग्राम उपज संभव।
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