रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखनऊ। वो कहते है कि हर किस्से की शुरुआत सुनी अनसुनी कहानियों से होती है कानों में पड़े दिल को छूते अल्फाजों से होती है। सुनी तो मैने भी थी एक ऐसे आईपीएस की कहानी जिसने संघर्षों के बाद अपना जीवन बेहतर बनाया और आज एक युवा आईपीएस अधिकारी है।
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जी हां हम बात कर रहे है तेजतर्रार एवं अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस आशीष तिवारी की जिन्हें अभी हाल ही में जनपद सहारनपुर की कमान सौंपी गई है। 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष तिवारी की गिनती यूपी के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी में की जाती है।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में जन्मे आशीष तिवारी के पिता कैलाश नारायण तिवारी रेलवे विभाग में इंजीनियर थे। श्री तिवारी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई वहीं के केंद्रीय विद्यालय में पूरी की उसके बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर में दाखिला लिया।
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शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहे आशीष तिवारी ने कानपुर से ही कंप्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की जिसके बाद कुछ समय के लिए वह विदेश चले गए और वहां अच्छे पैकेज पर नौकरी की मगर जब वहां इनका मन नहीं लगा तो वह 2010 में पुनः भारत लौट आए और जमकर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में IRS में 330वीं रैंक हासिल की मगर उन्हें इससे पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिली और इन्होंने दुबारा प्रयास शुरू किया और 2012 में 219वीं रैंक हासिल कर आईपीएस अधिकारी बने।
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अपने सराहनीय कार्यों के दम पर आए दिन आशीष तिवारी सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया पर छाए रहते है। उच्चाधिकारी भी इनकी जमकर सराहना करते है। लखनऊ में सीआईडी के एसपी का सराहनीय कार्यकाल पूरा करने के बाद अब इन्हें जनपद सराहनपुर की कमान सौंपी गई है और इन्होंने चार्ज संभालते ही सभी पुलिसकर्मियों को शख्त हिदायत दी है कि अपनी ड्यूटी के प्रति हमेशा सजग रहे। फिलहाल जनपद सहारनपुर में आईपीएस आशीष तिवारी की तैनाती से जुर्म से ताल्लुक रखने वालों की दुनिया में हलचल सी मची हुई है।
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