रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखीमपुर खीरी:- यूपी का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी वैसे तो चीनी का कटोरा कहा जाता है क्योंकि यहां अधिकांश किसान गन्ने की खेती पर आश्रित है यही वजह है कि यहां कई गन्ना फैक्ट्री व जगह-जगह पर क्रेशर लगे है। किसानों को गन्ने की खेती में सबसे बड़ी समस्या गन्ना भुगतान को लेकर रहती है। जिसके चलते बीते सालों में कुछ किसानों का मन बदला तो उन्होंने गन्ना छोड़ केले की खेती पर हाथ आजमाया इसमें शुरू के सालों में तो बहुत अच्छी आमदनी हुई मगर इस वर्ष केले के भाव भी आसमान से जमीन पर आ गए। आलम यह निकला कि केले की लागत तक निकलना मुश्किल था। जिसके चलते कई किसानों ने खड़ी केले की फसल को जोत दिया और पुनः गन्ने की खेती की और रुख किया मगर निघासन क्षेत्र के एक किसान ने इन सभी फसलों के बारे में न सोचकर एक विशेष फसल की खेती को करने की ठानी।
तहसील निघासन अंतर्गत गांव ढखेरवा खालसा के किसान मनोज पांडेय ने अभी हाल ही में जिमीकंद की खेती पर अपना हाथ आजमाया और शुरू में तीन बीघा जिमीकन्द की बिजाई कराई। किसान मनोज पांडेय का कहना है कि इस फसल में मेहनत तो है मगर यदि किसान सही ढंग से फसल की देखरेख करे तो एक बीघा में 45 से 50 कुंतल जिमीकन्द का उत्पादन होता है। इसकी बिजाई फरवरी माह में कराई जाती है जिसमें लाइन से लाइन की दूरी लगभग ढाई फीट और पौधे की दूरी लगभग दो फीट रहती है। किसान मनोज पांडेय ने बताया कि जिमीकन्द की खेती करने वालों के लिए गजेन्द्र ब्राइटी सबसे सुपर होती है और बिजाई करने से पहले उन्होंने समतल के ऊपर पहले लगभग 3 किलो का जिमीकन्द बीज रखा और उसके बाद फावड़े से दोनों तरफ से सवा फिट की मेढ़ बनाकर मिट्टी चढ़ा दी। जिसके बाद पूरी फसल को गन्ने की पत्ती से ढग दिया, जिससे जंगल इत्यादि न जमे। किसान मनोज पांडेय ने बताया कि इस फसल में चार से पांच बार पानी लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि यह फसल अभी बहुत कम मात्रा में किसान कर रहे है। यदि इस पर खेती की जाए तो बेहतर मुनाफा होगा। इसके अलावा मनोज पांडेय ने कुछ अन्य भी फसलों पर हाथ आजमाया है उनमें भी इनको बेहतर सफलता मिली है।
ढखेरवा खालसा निवासी किसान मनोज पांडेय अपनी पंचायत से सामान्य सीट पर हमेशा प्रधान रहे है और पंचायत की जनता इनसे खासा लगाव भी रखती है।
निघासन मेले में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में सात जोड़ों ने एक दूसरे को पहनाई वरमाला।।








