निघासन, लखीमपुर खीरी: पांच दिनों से लापता एक दलित युवक का शव पानी में उतराता मिला। शव को खेत के कीचड़ में कंद निकालने गई लड़कियों ने देखा। पुलिस पर ढीलासाजी का आरोप लगाते हुए परिवार और गांव के लोगों ने पुलिसवालों को शव बाहर नहीं लाने दिया। उन्होंने पड़ोस के गांव के एक ठेकेदार व उसके साथियों पर हत्या करके शव फेंकने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग करने लगे। जिस पर पुलिस ने आनन-फानन में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद परिजनों ने शव को बाहर लाने दिया। पांचों आरोपियों को हिरासत में लेते हुए पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज करते हुए मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
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जानकारी के अनुसार कोतवाली क्षेत्र के गांव छीटनपुरवा (नानकनगर) निवासी बाबूराम भार्गव तथा कुछ अन्य मजदूर एक किलोमीटर दूर गोविंदपुरी (हीरालालपुरवा) मोहल्ले के ठेकेदार कमलेश गौतम के साथ करीब दो महीने पहले मजदूरी करने लद्दाख गए थे। लगभग बीस दिन पहले वहां बहुत ज्यादा बर्फबारी होने की वजह से कमलेश और सभी मजदूर वहां से वापस घर आ गए थे। बाबूराम की पत्नी अनीता के अनुसार, कमलेश पर उसके पति की मजदूरी के 1900 रुपए बकाया थे। कई बार मांगने पर भी कमलेश ने बाबूराम को रुपए नहीं दिए थे। बाबूराम के पिता विंद्रा तथा पत्नी अनीता ने बताया कि 25 नवंबर को एक बार फिर बाबूराम अपना बकाया रुपया मांगने कमलेश के घर गया था। इसके बाद वह गायब हो गया और वापस घर नहीं लौटा। घरवालों ने कमलेश के घर से पता करने के साथ ही उसे आसपास के खेतों, तालाबों के अलावा पड़ोसी गांवों और रिश्तेदारों के यहां पता लगाया। पता न चलने पर विंद्रा ने कोतवाली में तहरीर दी थी। इस पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली थी। रविवार को बाबूराम के घर से करीब दो सौ मीटर दूर गांव के उत्तर पानी भरे खेत के कीचड़ में मंझिलीपुरवा गांव की लड़कियां सेरुका नामक कंद निकालने गई थीं। जहां उनको पानी वाले खेत के पार गन्ने के खेत में शव पड़ा दिखा। उनके शोर मचाने पर लोग वहां पहुंचे, तो वह बाबूराम का शव निकला। यह खबर परिजनों को दी गई। । खबर सुन परिजनों में कोहराम मच गया। रोते बिलखते घरवाले भी वहां पहुंच गए। सूचना पाकर कोतवाल महेश चंद्र समेत अन्य पुलिसकर्मी वहां पहुंचे। गन्ने के खेत में बाबूराम की औंधे मुंह शव पड़ा था। उसके दोनों पैरों की एड़ियों का कुछ हिस्सा कटा मिला। चेहरे पर चोट के निशान बताए गए। नाक से खून निकला था। मौके पर भी कुछ खून पड़ा था।
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वहां से करीब बीस मीटर दूर रामगोपाल की पुआल की खरही के पास उसकी चप्पलें व लोअर पड़ा पाया गया। घरवालों ने पुलिसकर्मियों को काफी मुश्किलों के बाद शव उठाकर बाहर लाने दिया। घरवालों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना था कि उन्होंने 26 नवंबर को ही कमलेश और उसके साथियों पर आरोप लगाया था, लेकिन पुलिस ने नामजद रिपोर्ट दर्ज करके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय गुमशुदगी दर्ज करके उनको टरका दिया था। ग्रामीणों और घरवालों के बीच काफी देर तक कहासुनी चलती रही। हालत खराब देख वहां सीओ जितेंद्र सिंह परिहार के अलावा पढुआ इंस्पेक्टर विवेक उपाध्याय और सिंगाही थाने के एसआई आशुतोष सिंह समेत इन थानों के पुलिसकर्मी भी पहुंच गए। किसी तरह शव बाहर लाकर उसे सील करके पोस्टमार्टम के लिए भेजने की कोशिश की गई, लेकिन महिलाओं ने गाड़ी का रास्ता रोक लिया। उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करके आरोपियों की गिरफ्तारी किए बिना शव न ले जाने देने की बात कही। घरवालों का कहना था कि कल बाबूराम के गांव एक लड़की की बारात आई थी और उसके चचेरे भाई बहादुर की लड़की सुमन का तिलक कुसहा गांव गया था। रविवार को उसकी शादी थी। आरोपियों ने इसका लाभ उठाकर शव यहां फेंक दिया। ग्रामीणों और परिजनों के अड़ जाने पर पुलिस ने पांच आरोपियों कमलेश, अख्तर, धर्मपाल, छड़ीराम और छत्रपाल को हिरासत में लेते हुए बाबूराम की पत्नी अनीता की तहरीर पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर लिया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
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