उत्तराखंड। पीपल पड़ाव रेंज के तिलपुरी जंगल में हुई एक दर्दनाक घटना ने वन विभाग और रेलवे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जंगल से गुजर रही एक ट्रेन की टक्कर से घायल हुआ हाथी 15 घंटे तक दलदल में फंसा तड़पता रहा, लेकिन समय पर रेस्क्यू नहीं किया जा सका।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शुक्रवार देर रात जंगल के बीच से गुजर रही ट्रेन से टकराकर हाथी पास के दलदल में जा गिरा। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी, परंतु बचाव दल घंटों बाद पहुंचा। सीमित संसाधनों और तकनीकी कमी के चलते हाथी को निकालने में विभाग को करीब 15 घंटे लग गए। आखिरकार जेसीबी मशीन की मदद से हाथी को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी। इस हादसे में हाथी का एक पैर व दांत टूट गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय पर रेस्क्यू किया जाता तो हाथी का हाल बेहाल न होता। इस हादसे ने रेलवे द्वारा लगाए जाने वाले ट्रैक सेंसर सिस्टम के दावों की सच्चाई भी उजागर कर दी है। रेलवे का कहना था कि सेंसर से जंगल में जानवरों की गतिविधियों का पता चल जाएगा और समय रहते ट्रेनें रोकी जा सकेंगी, मगर यह घटना इन दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस घटना को “मानव लापरवाही की कीमत” बताया है। उनका कहना है कि जंगल से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार पर निगरानी और ट्रैक किनारे वन्यजीव सुरक्षा के ठोस उपाय अब जरूरी हो गए हैं।
अब ऐसे किसानों के खातों में नहीं आएगी पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किश्त।।









