लखीमपुर खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व में जैव विविधता को लेकर एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। यहां पहली बार दुर्लभ ‘रेनबो वाटर स्नेक’ का वैज्ञानिक रूप से फोटो रिकॉर्ड तैयार किया गया है, जिससे यह प्रजाति अब क्षेत्र की आधिकारिक जैव डाटा बुक में शामिल की जा सकेगी।
इस महत्वपूर्ण खोज का श्रेय आउटरीच ऑफिसर एवं फील्ड बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी को जाता है। उन्होंने बताया कि यह सांप पूर्व में भी दिखता रहा है, लेकिन अब तक इसका प्रामाणिक फोटोग्राफिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं था।
जानकारी के अनुसार, सबसे पहले इसे बेलराया रेंज के छंगा नाला क्षेत्र के पास देखा गया, इसके बाद बफर जोन में सड़क किनारे इसका स्पष्ट रिकॉर्ड किया गया। मौके पर लाइव निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ परियोजना अधिकारी रोहित रवि, फील्ड बायोलॉजिस्ट अपूर्व गुप्ता तथा WWF इंडिया के प्रतिनिधि अमित कुमार भी मौजूद रहे।
टीम के मुताबिक, सांप की लंबाई लगभग 35 सेंटीमीटर पाई गई। उस समय वह खाल बदलने की प्रक्रिया में था, जिस कारण उसकी गतिविधियां मंद दिखाई दीं। आवश्यक शारीरिक लक्षण दर्ज करने के बाद सांप को पूरी सुरक्षा के साथ उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।
नेशनल शूटर स्वर्ण पदक विजेता जीएस सिंह बने एनआरएआई के संयुक्त सचिव।।
दुधवा टाइगर रिजर्व पहले से ही बाघ, गैंडा सहित अनेक दुर्लभ वन्यजीवों का सुरक्षित घर माना जाता है। बीते दो वर्षों में यहां नई-नई प्रजातियों के सामने आने से क्षेत्र की वैश्विक जैविक महत्ता और भी बढ़ी है। इस उपलब्धि पर फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजा मोहन तथा उप निदेशक जगदीश आर ने पूरी टीम को शुभकामनाएं दी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, रेनबो वाटर स्नेक प्रजाति प्रायः मीठे पानी के स्रोतों—जैसे नालों, तालाबों, खेतों और जलाशयों के आसपास पाई जाती है। इसका रंग सामान्यतः भूरा या हल्का हरा होता है, जिस पर पड़ने वाली रोशनी में हल्की इंद्रधनुषी चमक दिखाई देती है। इसका मुख्य आहार छोटी मछलियां और जलीय जीव होते हैं।
एक जैसी स्कूटी बनी मौत का कारण, भाड़े के शूटरों ने इस तरह रची थी पूरी साजिश।।









