लखनऊ। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग वीना कुमारी ने विभागीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि बाढ़ एवं जलभराव से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों में रोग व कीट से होने वाले नुकसान की रोकथाम हेतु तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारी एवं चीनी मिलों के प्रबंधक प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से संवाद करें और समस्याओं का मौके पर ही समाधान कराएं। साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा खेतों में जाकर किसानों को रोग व कीट नियंत्रण के व्यावहारिक उपाय सुझाए जाएं।
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बैठक में अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों की टीम खेत-खेत जाकर किसानों को जानकारी दे कि किस प्रकार गन्ने की जड़ों में रोग व कीट से बचाव किया जा सकता है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद खेतों में जड़ विगलन (रूट रॉट) रोग का प्रकोप तेज़ी से फैलने की संभावना रहती है। इससे बचाव के लिए किसानों को फफूंदनाशी दवाओं एवं उचित उर्वरकों का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है।
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विशेषज्ञों के अनुसार जिन खेतों में बाढ़ का पानी बाहर निकल चुका है, वहां 70 WP थायोफेनेट मिथाइल या 50 WP कार्बेन्डाजिम का घोल तैयार कर गन्ने की जड़ों में डालना चाहिए। साथ ही पौधों की वृद्धि एवं मजबूती के लिए यूरिया, डीएपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश और जिंक सल्फेट का घोल छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
विभाग ने यह भी बताया कि जलभराव या निचली सतह वाले खेतों में तना छेदक व सफेद मक्खी के प्रकोप की संभावना रहती है। इससे बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस, इमिडाक्लोप्रिड व थायोमेथोक्साम जैसी दवाओं का प्रयोग किया जाए। अपर मुख्य सचिव ने किसानों से अपील की है कि वे विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन करें और किसी भी समस्या की सूचना तत्काल स्थानीय गन्ना समितियों अथवा टोल-फ्री नंबर 18001213203 पर दें। ताकि रोग व कीट का समय से निदान कराया जा सके।
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