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यूपी के इस जिले में आज भी मौजूद है तुलसीदास जी द्वारा हस्त लिखित सुंदरकांड की प्रतिलिपि।।

By: दीप मिश्रा संपादक

On: Sunday, July 20, 2025 9:59 AM

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रिपोर्ट:- शरद मिश्रा
लखीमपुर खीरी। घने व हरे-भरे जंगलों से घिरा तराई क्षेत्र निघासन वैसे तो कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है। जिस पर मंथन भी समय-समय पर होता रहता है। ऐतिहासिक धरोहरों की बात करें तो निघासन क्षेत्र में कई ऐसी धरोहरें है जो काफी प्रचलित रही है।
हम में से लगभग सभी लोग रामचरित मानस के बारे में जानते है। क्योंकि हिन्दू धर्म में घर पर कोई भी शुभ कार्य किया जाता है, तो अधिकांश लोग रामचरित मानस का पाठ अपने घरों में कराते है। आज हम बात करेंगे इस रामचरित मानस के सुंदर कांड पाठ की और आप यह जानकर चकित रह जाएंगे कि गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा लिखित रामचरित मानस का सुंदर कांड जो भोजपत्र में उन्होंने लिखा था वो आज भी निघासन क्षेत्र के गाँव दुलही में मौजूद है।

लखीमपुर खीरी में स्थित इस रहस्यमयी गुफा के बारे में जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे!!

दुलही निवासी पंडित संजय तिवारी पुत्र जागेश्वर तिवारी की 10वीं पीढ़ी पहले तुलसीदास जी ने अपने द्वारा लिखित रामचरित मानस के सुंदरकांड पाठ को प्रसाद स्वरूप भवानी शंकर तिवारी को दिया था। तब से लेकर आज तक उनके वंशज उस सुंदरकांड को प्रसाद स्वरूप सम्भाल कर रक्खें हुए है। जो भी उसे देखना चाहता है तो वो दुलही गाँव जाकर उसे देखता है।

प्रसाद स्वरूप तुलसीदास ने दिया था सुंदरकांड:-

दुलही निवासी पंडित संजय तिवारी का कहना है कि 10वीं पीढ़ी पहले उनके पूर्वज भवानी शंकर तिवारी काली माता के मंदिर में पूजा करने जाते थे। एक दिन सुबह के समय पूजा के दौरान उनके द्वारा बोले गए श्लोक में कोई त्रुटि हो जाती है तो पास के सरोवर से आवाज आती है कि तुम्हारे श्लोक में कोई गलती हुई है, सुधार कीजिये। इस आवाज को सुन भवानी शंकर बोलते है कि आप कौन हो, हम आपसे मिलना चाहिते है। उनके उत्तर में आवाज आई कि जिस दिशा से मेरी आवाज आ रही है तुम उधर बढ़ते आओ, भवानी शंकर आवाज की तरफ बढ़ते गए और उस सरोवर के अंदर चले गए। जहां तुलसीदास जी ध्यान मुद्रा में बैठे होते है। जिससे वहाँ उनको तुलसीदास जी के दर्शन होते है। उसी दौरान तुलसीदास जी द्वारा सुंदरकांड पाठ प्रसाद स्वरूप भवानी शंकर तिवारी को मिलता है, तब से लेकर आज तक उनके वंशज उसे संभाले हुए है।

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