रिपोर्ट:- शरद मिश्रा “शरद”
लखीमपुर खीरी। वो कहते है कि हर किस्से की शुरुआत सुनी अनसुनी कहानियों से होती है। कानों में पड़े दिल को छूते अल्फाजों से होती है। सुनी तो मैने भी थी एक ऐसे डॉक्टर की कहानी जो सच में भगवान का दूसरा रूप है। मरीजों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझने वाले तो कई डॉक्टर होंगे मगर उस पीड़ा से मरीज को छुटकारा दिलाने वाले डॉक्टर बहुत कम ही होते है।
जी हां हम बात कर रहे है सीएचसी निघासन अंतर्गत पीएचसी तिकुनिया पर तैनात डॉक्टर मनोज वर्मा की जो आए दिन अपने नेक कार्यों के चलते सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया पर छाए रहते है।
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लगभग एक सप्ताह पूर्व डॉक्टर मनोज वर्मा को सूचना मिलती है कि मटेहिया निवासी लक्ष्मण जो बेहद गरीब है जिसके घर दिन में चूल्हा जला तो रात में नहीं ओर रात में जला तो दिन में नहीं। आलम यह है कि किसी तरह मेहनत मजदूरी करके वह अपने परिवार का पेट पालता है। लक्ष्मण का मंझला बेटा छोटू जो 6 वर्ष का है। जिसे “नेफ्रोटिक सिंड्रोम” नामक गंभीर बीमारी हो जाती है। इधर उधर मदद मांगने के बाद भी कोई मदद नहीं मिलती और बच्चे की हालत गंभीर हो जाती है।
इसकी सूचना मिलते ही डॉक्टर मनोज वर्मा ने सर्वप्रथम बच्चे को स्वयं देखा और परिवार को धैर्य रखने के लिए कहा। जिसके बाद उन्होंने बच्चे को जिला अस्पताल में एडमिट कराया और गरीब लक्ष्मण को आर्थिक मदद भी दी जिससे वह आराम में बच्चे को प्रोटीन युक्त चीजें खिलाए ताकि उसे जल्द फायदा हो।
जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज डॉक्टर रिजवान अहमद और डॉ आरपी वर्मा की देखरेख में लगभग एक सप्ताह चला। सोमवार को बच्चा बिल्कुल स्वस्थ होकर पुनः अपने घर आ गया। लक्ष्मण ने बताया कि उसकी पत्नी एक हाथ से विकलांग है और पेड़ के ऊपर से गिरने के कारण लक्ष्मण के भी दोनों हाथ टूट गए थे जिससे वह वजन काम नहीं कर पाता। उसने डॉ मनोज वर्मा के लिए बताया कि उनकी बदौलत उसका बच्चा सही होकर पुनः घर आया है। फिलहाल गरीब लक्ष्मण के परिवार में डॉक्टर मनोज वर्मा की मदद से खुशियों का माहौल है।
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