लखनऊ। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग वीना कुमारी ने विभागीय समीक्षा बैठक में रोग एवं कीट से प्रभावित गन्ना फसल के आकलन एवं त्वरित रोकथाम के लिए सभी परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारियों एवं चीनी मिलों के प्रबन्धक केन मैनेजर, फील्ड स्टाफ को भी क्षेत्र भ्रमण करने के कडे निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही प्रदेश के समस्त रोग एवं कीट से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों का दौरा कर अपनी आख्या मुख्यालय को तत्काल प्रेषित करेंगें।
अपर मुख्य सचिव ने यह भी निर्देशित किया कि समस्त अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थानीय स्तर पर सांसदगण, विधायकगण एवं जन प्रतिनिधियों से वार्ता कर प्रभावित क्षेत्रों हेतु विभाग द्वारा जारी सलाह व अन्य कृत कार्यों से अवगत करायेंगे तथा ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक एवं समिति सचिव गन्ना समितियों के अध्यक्षों, डायरेक्टरों के साथ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों से वार्ता करेंगें और मौके पर ही रोग एवं कीट से प्रभावित गन्ने के उपचार हेतु रासायनिक उर्वरकों एवं दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करायेगें। इस अभियान में गन्ना शोध केन्द्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक भी कीट एवं रोग से प्रभावित गन्ना फसलों के बचाव के लिए त्वरित उपाय किसानों को बतायेंगे।
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इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, उ.प्र. मिनिस्ती एस. ने बताया कि गन्ने की तीव्र वृद्धि तथा रोग एवं कीटों से नियत्रंण हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी खेतों से बाहर निकल चुका है, उन खेतों में जड़ विगलन (रूट राट) रोग के प्रबन्धन हेतु फफूंदनाशी थायोफेनेट मिथाईल 70 WP अथवा कार्बेन्डाजिम 50 WP का 02 ग्राम प्रति ली. पानी की दर से गन्ने की जड़ों के पास ट्रेंचिंग करें। फसल की तीव्र वृद्धि के लिए घुलनशील उर्वरक एन.पी.के. 19:19:19 का 05 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की पत्तियों पर छिड़काव करें। साथ ही यह भी बताया कि तराई क्षेत्र अथवा जिन खेतों में अधिक समय तक पानी भरा हो अथवा नत्रजन की कमी वाले खेतों में कहीं-कहीं पर सफेद मक्खी का प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनों गन्ने की पत्तियों से रस चूसते हैं जिससे गन्ने की पत्तियों का रंग हरे की जगह लालिमा लिये हुये हल्के पीले रंग का हो जाता है। पेड़ी वाले खेतों में इसका अधिक प्रभाव देखा जा रहा है। अतः इस कीट के नियन्त्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. की 150-200 एम.एल. मात्रा को 625 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की पत्तियों पर छिडकाव करें।
उन्होंने बताया कि कुछ जल प्लावित क्षेत्रों में सफेद गिडार अथवा व्हाइट ग्रब का प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट की गिडार गन्ने की पौधों की जड़ों व जमीन की सतह के नीचे वाले भाग को खाती है जिससे प्रभावित पौधा पीला होकर पूरी तरह से सूख जाता है एवं आसानी से जड़ सहित उखड़ जाता है। इसके नियन्त्रण हेतु बाइफेन्थिन 10 ई.सी. घोल दर 800 एम.एल. अथवा क्लोथियानिडीन 50 WDG 250 ग्राम को 1875 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की लाइनों में ट्रेंचिंग के उपरान्त सिंचाई कर दें। इस कीट के जैविक नियन्त्रण हेतु 05 किग्रा प्रति हे. की दर से बवेरिया बैसियाना को 01-02 कु. गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर गन्ने की लाइनो में जड़ों के पास प्रयोग करें।
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आयुक्त महोदया ने बताया कि वर्तमान में जड़ बेधक कीट का भी प्रकोप देखा जा रहा है जो गन्ने की जड़ वाले भाग को नुकसान पहुँचाता है। इसके नियन्त्रण हेतु क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. 05 ली. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 500 एम.एल. को 1875 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेचिंग करें।
इस सम्बन्ध में आयुक्त, गन्ना एवं चीनी ने प्रदेश के समस्त गन्ना किसानो से अनुरोध किया है कि रोग एवं कीटों से नियत्रंण हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार कार्य करें, जिससे कि गन्ने की फसल कीट एवं रोगों से मुक्त रहे तथा भरपूर उपज प्राप्त हो। फसल की निरन्तर निगरानी करते रहें तथा फसल पर किसी भी प्रकार की असमानता दिखाई पड़ने पर तुरन्त उपचार करें। माह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर गन्ने की बढ़वार का पीक पीरियड होता है अर्थात् यह समय गन्ने की ग्राण्ड ग्रोथ फेज का है जिसमें गन्ना प्रति सप्ताह 4.9 इंच की दर से बढ़वार करता है। अतः इस समय फसल पर विशेष निगरानी की आवश्यकता होती है। सभी गन्ना किसान भाईयों से अनुरोध है कि बाढ़ से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों में कीट एवं रोग से प्रभाव की जानकारी अपने नजदीकी गन्ना समितियो, परिषदों, जिला गन्ना अधिकारी कार्यालयों एवं विभागीय टोल फ्री नं0 18001213203 पर तत्काल सूचित करें, जिससे समयान्तर्गत रोग एवं कीट का निदान कराया जा सके।
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