लखीमपुर खीरी: दुधवा में मानसून में जंगल के अंदर से निकलकर कई जहरीले और विषहीन दोनों किस्म के सांप बाहर आ रहे हैं। जंगल के करीबी बस्तियों और गांवों तक आ रहे सांप लोगों को डस भी रहे हैं। वहीं, दुधवा टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम इन सांपों को पकड़कर वास स्थलों पर भेज रही है। खास बात यह है कि जंगल से निकलकर बस्ती तक आने वाले सांपों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय कोबरा की है। हालांकि विषहीन सांप भी बड़ी संख्या में बाहर निकल रहे हैं।
दुधवा ही नहीं बल्कि दक्षिण खीरी के जंगलों से सटे गांवों और बस्तियों में सांप पहुंच रहे हैं। कभी बाढ़ के पानी के साथ तो कहीं बारिश के पानी में बहकर सांप निकलकर आ रहे हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व ने सांपों को रेस्क्यू करने के लिए टीम बनाई है। यह टीम सांप मिलने की सूचना पर पहुंच रही है। सांपों को रेस्क्यू करने के साथ ही पकड़े गए सांपों की प्रजातियों पर भी अध्ययन किया गया। अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है कि बस्ती में सबसे ज्यादा भारतीय कोबरा यानी भारतीय नाग पहुंच रहे हैं जिनके काटने से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं।
दुधवा में सात किस्म के जहरीले सांपः
दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक ललित वर्मा ने बताया दुधवा में जहरीले सांपों की सात प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें क्रेट प्रजाति की चार प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके अलावा कोबरा की दो प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। वहीं, वाइपर प्रजाति के सांप भी यहां मौजूद हैं। विषहीन प्रजाति के तमाम सांप भी यहां मौजूद हैं।
18 भारतीय कोबरा किए गए रेस्क्यू सांपों
की मौजूदगी की सूचना पर पहुंची दुधवा की टीम ने 18 भारतीय कोबरा को रेस्क्यू किया और उनको वापस जंगल भेजा गया। इसके अलावा मोनो क्रेट कोबरा के भी 11 केस आए। आठ रसल वाइपर को भी पकड़कर जंगल में छोड़ा गया। रसल वाइपर सबसे खतरनाक माना जाता है। वहीं, दो बैंडेड क्रेट सांप भी बस्ती में पकड़े गए। एक महीने के दौरान विषहीन 22 रेड स्नेक सांप को भी पकड़ा गया। इसे घोड़ा पछाड़ भी कहा जाता है।