लखनऊ। लघु व सीमान्त किसानों एवं अन्य कृषकों के हित के दृष्टिगत प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना “पर ड्राप मोर क्राप” को गन्ना खेती में लागू कर उत्पादकता में वृद्धि के सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे गन्ना उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ जल संरक्षण / पानी की बचतके क्षेत्र में दीर्घकालिक लाभ किसानों को मिल सके।
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प्रदेश के तेजतर्रार एवं अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ आयुक्त, गन्ना एवं चीनी प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि गन्ना विकास विभाग द्वारा कृषि क्षेत्र में पानी के दोहन में कमी लाकर जल संरक्षण, गन्ना खेती के लागत में कमी लाने और किसानों की आमदनी में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए ड्रिप सिंचाई किसानों के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस संबंध में सभी गन्ना उत्पादक जिलों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। वर्ष 2025-26 के लिए 25000 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिससे लगभग 20-25 हजार गन्ना किसान लाभान्वित होंगे।
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गन्ने की खेती में ड्रिप इरीगेशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गन्ना आयुक्त ने बताया कि प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी में सुधार हेतु भू-जल संचयन, सिंचाई जल के उपयोग में कमी उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के दृष्टिगतपारम्परिक सिंचाई विधियों की तुलना में ड्रिप सिंचाई प्रणाली बहुत प्रभावी तकनीक है। इससे पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता हैऔर फलस्वरूप कम पानी में ही पौधों की जरूरत पूरी हो जाती है। जिससे खेती में 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और गन्ना उत्पादन में वृद्धि के साथ साथ जल व ऊर्जा की बचत होती है तथा खेत में खरपतवार में कमी आती है।
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गन्ना आयुक्त ने यह भी बताया कि गन्ना विकास विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना “पर ड्राप मोर क्राप” (माइक्रोइरिगेशन) योजना के अन्तर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु 90 प्रतिशत अनुदान दर पर 5000 हेक्टेयर एवं अन्य श्रेणी के कृषकों हेतु 80 प्रतिशत अनुदान दर पर 20000 हेक्टेयर अर्थात गन्ना से आच्छादित जिलों हेतु कुल 25000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की फसल हेतु लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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उन्होंने यह भी बताया कि गन्ने की खेती के लिए जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, कृषि कार्यों के लिए दिन प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी, पानी की घटती उपलब्धता एवं भू-गर्भ जल की महत्ता को देखते हुए पानी का सदुउपयोग अत्यन्त आवश्यक है। ड्रिप सिंचाई में पानी और पोषक तत्वों का सही मात्रा में, सही समय पर इस्तेमाल होता है। इससे पानी की बचत होती है और पौधों का विकास बेहतर होता है। उन्होनें बताया कि ड्रिप सिंचाई को बढावा दिये जाने तथा प्रगतिशील किसानों को योजना के मुख्य बिन्दु से जोड़ने एवं इसका सफल व प्रभावी क्रियान्वयन की प्रक्रिया के संबंध मेंजनपद एवं परिक्षेत्रीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किये गये हैं।
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