Rewa Mp: स्वास्थ्य व्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति, एक और प्रशासनिक लापरवाही उजागर।
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रीवा, मनगवां: स्वास्थ्य विभाग की दयनीय स्थिति और कर्तव्यनिष्ठा की कमी का एक और घिनौना अध्याय मंगलवार शाम उजागर हुआ, जब भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति ने अचानक आयुष्मान आरोग्य केंद्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें जो कुछ भी देखने को मिला, वह केवल प्रशासनिक उदासीनता ही नहीं, बल्कि मानवता के प्रति किए जा रहे अत्याचार की एक क्रूर तस्वीर थी। अस्पताल में कर्मचारियों की भारी अनुपस्थिति का आलम यह था कि केवल एक नर्स ड्यूटी पर उपस्थित थी। इस गहरी लापरवाही का सबसे चौंकाने वाला पक्ष तब सामने आया, जब विधायक ने अस्पताल के रजिस्टर को देखा। यह देखकर वे स्तब्ध रह गए कि अगली तिथि के लिए भी कर्मचारियों के हस्ताक्षर पहले से ही दर्ज थे, जो कि स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी और कर्तव्य विमुखता का जीवंत प्रमाण था।
*गर्भवती महिलाओं की जान से खिलवाड़!*
इस अस्पताल में कई गर्भवती महिलाएं भर्ती थीं, जिनकी उसी दिन डिलीवरी हुई थी। परंतु, आपात स्थिति में उनकी देखभाल करने वाला कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। यह स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के चरमराते ढांचे और अव्यवस्थित प्रबंधन का ज्वलंत उदाहरण था। मातृत्व, जोकि जीवन का सबसे नाजुक और महत्वपूर्ण क्षण होता है, उसमें भी प्रशासन का यह गैरजिम्मेदार रवैया चिंताजनक और अमानवीय है।
*तत्काल कार्रवाई की चेतावनी!*
भाजपा विधायक ने तत्काल प्रभाव से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संजीव शुक्ला को फोन कर इस गहरी लापरवाही की कड़ी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने न केवल अनुपस्थित कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की, बल्कि उन अधिकारियों के विरुद्ध भी कड़ी सजा की बात रखी, जिन्होंने फर्जी हस्ताक्षर कर इस कृत्य को अंजाम दिया।
*विधायक का बयान!* :
यह केवल एक अस्पताल की बात नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली की जर्जर अवस्था को दर्शाने वाली एक भयावह तस्वीर है। यदि जल्द से जल्द इस पर ठोस कार्यवाही नहीं की गई, तो मैं स्वयं इस मामले को उच्च स्तर तक ले जाने से पीछे नहीं हटूंगा। स्वास्थ्य व्यवस्था के इस ढीले रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधायक ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि अविलंब सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो कड़े निर्णय लेने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि जनता के स्वास्थ्य के साथ कोई भी समझौता अस्वीकार्य है, और दोषियों को उनके किए का उचित दंड अवश्य मिलेगा।
*सीएमएचओ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल।*
इस घटना ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ संजीव शुक्ला की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मा संभालने वाले शीर्ष अधिकारियों की जवाबदेही कहां है? यह कोई एकल मामला नहीं है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य ढांचे की खामियों की ओर इशारा करता है। क्या सीएमएचओ को इस लापरवाही की जानकारी नहीं थी, या फिर यह उनकी मिलीभगत का परिणाम है? सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की अनुपलब्धता, कर्मचारियों की मनमानी और कागजों पर ही निपटाए जाने वाले दायित्व आम हो गए हैं।
जनता अब सवाल पूछ रही है—अगर सीएमएचओ जैसे वरिष्ठ अधिकारी अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, तो फिर आम नागरिकों की चिकित्सा सुविधाओं का क्या होगा? स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की इस कड़ी में क्या यह मामला भी दबा दिया जाएगा?
*स्वास्थ्य विभाग की साख दांव पर!*
इस घटनाक्रम के बाद स्वास्थ्य विभाग पर भारी दबाव बन गया है। अब यह देखना होगा कि इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ उचित कार्रवाई कब तक होती है और प्रशासन अपनी खोई हुई साख को वापस पाने में कितना सफल होता है।









