अधिक दूरी तय कर खेतों से निकलना ग्रामीणों की मजबूरी।
रिपोर्ट:- शरद मिश्रा”शरद”
निघासन खीरी: इन दिनों लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां जोरों से है सभी पार्टी जनता को अनेक मुद्दों पर पूर्णविराम लगाने की बात कहकर उन्हें लुभाने का प्रयास कर रही है।
विकासखंड निघासन अंतर्गत ग्राम पंचायत बरोठा का मजरा लंघनियापुरवा गांव आज भी विकास की तरफ आंख फैलाए देख रहा है। यह गांव विकास के मामले में इतना पिछड़ा है की इस गांव तक जाने के लिए मुख्य रास्ता भी नही है। ग्रामीणों के अनुसार इस गांव के बीचों बीच बनबसा नहर निकली हुई है जिस पर लगभग पांच दशक पूर्व पुलिया का निर्माण कराया गया था जिसके माध्यम से ग्रामीणों का आवागमन रहता था। बीते लगभग दो दशक पूर्व से यह पुलिया श्रतिग्रस्त हो गई और ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो गया। आलम यह है की इस पुलिया के टूटने के बाद ग्रामीणों को निकलने के लिए मुख्य रास्ता तक नही है। पुलिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की परिक्रमा की मगर सबने सिर्फ दिलासा ही दिया। लोकसभा चुनाव के चलते ग्रामीणों का कहना है की जब तक यह पुलिया नही बन जाती तब वो किसी भी चुनाव में वोट नही डालेंगे। मुख्य रास्ता न होने के चलते इस गांव का विकास बिलकुल थम सा गया है यहां न तो कोई भी विद्यालय है और न ही अन्य जरूरी सेवाए क्योंकि विकास कार्य के लिए रास्ते का होना जरूरी है।
इस गांव के निवासी विश्राम ने बताया की बारिश के दिनों में यहां पानी अधिक होने के चलते यहां के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते अगर जाते भी है तो जान जोखिम में डालकर नाव से जाते है। ऐसे में अनहोनी का खतरा रहता है।
उपदेश ने बताया की पुलिया टूटने से ये समस्या हमेशा के लिए है अब तो ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालने की आदत सी हो गई है। मुख्य रास्ता न होने के चलते यदि कोई ग्रामीण अचानक बीमार होता है तो उसे बाइक के माध्यम से जैसे तैसे अस्पताल पहुंचाया जाता है। रास्ता न होने के चलते यहां न तो एंबुलेस पहुंच पाती और न ही अन्य चार पहिया गाडियां आ पाती है।
अजय कुमार ने बताया की इस पुलिया निर्माण को लेकर कई बार अधिकारी व नेताओं ने दिलासा दिया मगर उसके बाद आज तक हमारे गांव की तरफ मुड़ कर नहीं देखा। मुख्य रास्ता न होने के चलते ग्रामीणों को चार किलोमीटर की अधिक दूरी तय करके करमूपुरवा झंडी चौराहा होते हुए तहसील मुख्यालय जाना पड़ता है।