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नदी में गंदगी का अंबार, सरयू नदी नाले में हुई तब्दील, खतरे में नजर आ रहा अस्तित्व।

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रिपोर्ट:-शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी: कभी अपने शुद्ध जल व तेज धारा से लोगों को आकर्षित करने वाली सरयू नदी अब नाले में तब्दील हो गई है। कई स्थानों पर नदी पट चुकी है। जिस पर लोगों ने कब्जा भी कर लिया है। नदी के अंदर घास फूस इस कदर जमा है कि उसका पानी दिखाई ही नहीं पड़ता है। हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली इस नदी का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। इस नदी की विशेषता यह है की जिला बदलने के साथ इस नदी का नाम भी बदल जाता है। सरयू नदी की शुरूआत उत्तराखंड से हुई है। पीलीभीत से निकलकर जब यह नदी दुधवा नेशनल पार्क में आती है तो सुहेली और निघासन तहसील में यह सरजू कहलाती है।  धौरहरा तहसील क्षेत्र में पहुंचकर घाघरा बन जाती है। फैजाबाद में यह फिर सरजू नदी कहलाती है। पीलीभीत जंगल से होते हुए खैरीगढ़ जंगल से निकली यह नदी कभी 15 से 20 मीटर की चौड़ाई में बहती थी। इस नदी के किनारे किले जंगल में प्रसिद्ध रामदास और मोटेबाबा का स्थान है।

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यहां पर देवी देवताओं के बाद लोग नदी को भी पूजते हैं। मान्यता है कि कि जंगल में स्थित द्वापर युग में रुकमणि जी जहां पर नहातीं थीं, उसे रुकमणी झील के नाम से जाना जाता था। धीरे धीरे नदी को पाटकर लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया है। अब यह नदी मुश्किल से चार से पांच मीटर में बह रही है। बौधिया खुर्द के पास जंगल होने के कारण नदी की चौड़ाई अधिक है। उसके बाद खैरागढ़ के पास से नदी की चौड़ाई कम हो गई है। बंगलहा, घोसियाना, ढखेरवा खालसा के पास नदी की चौड़ाई कम हो गई है व नदी का पानी भी सूख रहा है। नदी के अंदर घास- फूस आदि उगने के कारण नदी की जलधारा दिखाई नहीं पड़ती। इस नदी में लोग नहाने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा के दिन जाते थे। पानी अधिक गंदा और घास- फूस आदि होने के कारण इसमें लोग नहाने से कतरा रहे हैं। सिंगाही रोड पर मोटेबाबा स्थान पर सरयू नदी का पुल बना हुआ है। यहां पर भी नदी सिकुड़कर नाले में तब्दील हो गई है।

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सिल्ट के साथ नदी में फैली गंदगी:-

सरयू नदी में सिल्ट जमा होने के कारण नदी उथली हो गई है। इसकी जलधरण क्षमता कम होने से हर साल लोगों को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है। बरसात के दिनों में नदी विकराल रूप धरण कर लेती है। जिससे पास पड़ोस के गाव समेत खेती में बाढ़ का पानी भर जाता है। घाघरा के नाम से भी मशहूर यह नदी धौरहरा क्षेत्र में दर्जनों गावों का वजूद मिटा चुकी है। कई गाव इसकी चपेट में हैं। नदी के अंदर गंदगी फैलने के कारण पानी का बहाव भी सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।

अतिक्रमण भी कारण:-

सरयू नदी के सिकुड़ने का एक कारण अतिक्रमण भी है। कई जगह लोगों ने नदी के दोनों किनारों को पाटकर खेती बाड़ी करना भी शुरू कर दिया है। खैरीगढ़ से बगलहा कुष्टी तक कर्ड भू माफिया ने नदी के किनारे खेत होने का फायदा उठाकर उसकी पटाई की और अपने खेत में शामिल कर लिया है।

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प्रशासन से नदी की सफाई कराने की गुहार:-

इस सरजू नदी की यदि देख रेख सही ढंग से हो और इसकी सफाई को जिम्मेदार अधिकारी सही ढंग से कराए तो यह नदी एक बार फिर अपने खोते अस्तित्व को पुनः वापस पा सकती है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है की बरसात आने वाली है, उससे पहले यदि प्रशासन इस नदी की सफाई करवाए ती अच्छा रहेगा।

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दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

पत्रकारिता जगत में एक ऐसा नाम जो निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाना जाता है।

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