जलकुंभी: हम में सभी लोग जलकुंभी के बारे में तो जानते ही होंगे। ये ऐसा पौधा है जो गावों में अक्सर तालाबों, नालों व नदियों में देखा जाता है। कभी कभी ये पौधा इतना आक्रामक हो जाता है की चंद दिनों में इतना फैल जाता है की आसपास की हर चीज को जकड़ लेता है। ये देखने में जितना साधारण लगता है उससे ज्यादा इसके नुकसान व फायदे है। जलकुंभी का विकास पानी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा पर निर्भर करता है। यह बीज तथा वानस्पतिक प्रसार द्वारा उत्पन्न होता है। अच्छी परिस्थितियों में यह एक से दो सप्ताह के अंदर आकर में दो गुना बढ़ जाता है।
रील्स बनाने की धुन में युवा बच्चे अपनी जान खतरे में डालकर कर रहे खतरनाक स्टंट, देखें वायरल वीडियो।।
जलकुंभी के विभिन्न नाम:-
पानी में पाई जाने वाली जलकुंभी को कई नामों से जाना जाता है जैसे अकासा थमराई, कचूरीपना, जल कुंभी, टगोई, काजोर पती, सोख- समन्दर, नाईथामराई आदि नामों से इसे पहचाना जाता है।
जलकुंभी से होने वाले नुकसान:-
जलकुंभी कई मायनों में लाभप्रद है तो कई मायनों में इसे नुकसानदायक भी माना जाता है। ये जिस तालाब में जम जाती है वहां मछली पालन नहीं किया जा सकता है व उस जगह पर अन्य कोई काम करने के बारे में सोचा जा सकता है। जलकुंभी जिस स्थान पर जमती है वहां कीट पतंगों के साथ मच्छरों का भयानक प्रकोप हो जाता है जिस वजह से उस स्थान पर डेंगू मलेरिया जैसी कई खतरनाक बीमारियां जन्म ले लेती है।
जलकुंभी के विभिन्न प्रकार के फायदे:-
जलकुंभी के अनेकों फायदे है, विभिन्न अध्ययनों ने जल कुंभी की खाद बनायी जाती है तथा वनस्पतियों की वृद्धि तथा मछलियों के भोजन के लिए इस खाद का प्रयोग किया जाता है। जलकुंभी के पौधों से खाद, ईंट बनाने में फाईबर का प्रयोग, कागज बनाने में फाइबर का प्रयोग, जानवरों को खिलाए जाने वाला चारा, बायोचार में बने पौधे में कारगर, बायोगैस/ईंधन बनाने में प्रयुक्त, टोकरियां बनाने में बुना गया शुष्क फाइबर, मछलियों को खिलाने के लिए कम्पोटेड चारा, खरपतवार के लिए प्रयुक्त के साथ इससे खेतों में डालने के लिए वानस्पतिक खाद भी बना सकते है।
रील्स बनाने की धुन में युवा बच्चे अपनी जान खतरे में डालकर कर रहे खतरनाक स्टंट, देखें वायरल वीडियो।।