खेती किसानी: पराली पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण का प्रमुख कारण बनी हुई है। अब यही पराली किसानों के लिए आय का साधन बनेगी। मालूम हो कि फसलीय अवशेष विशेषकर पराली का निस्तारण बड़ी समस्या बनी हुई है। कुछ जगहों पर किसान इसे जला देते हैं, जो प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा है। आपको बता दें कि पराली को पानी में डुबो कर एक से दो दिन रखने के बाद उसकी लुग्दी तैयार की जाती है।
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लुग्दी से आसानी से डिस्पोजेबल बर्तन तैयार किया जा सकता है। इसके लिए अलग से मशीन की जरूरत नहीं पड़ती। कागज के डिस्पोजेबल बनाने वाली मशीन से ही यह बन सकता है। इससे कप, गिलास, थाली, प्लेट, कटोरी भी बनाई गई है। प्लास्टिक से बने डिस्पोजेबल कप, प्लेट आदि के कारण नालियां जाम हो जाती थीं, लेकिन पराली से तैयार ये सामान नालियों को साफ करने का काम करेंगे।
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ये डिस्पोजेबल बर्तन नाली में जाते ही लुग्दी बन जाते हैं और उसमें मौजूद गंदगी को अपने साथ लपेट लेते हैं। जब उसे बाहर निकालते हैं तो नाली पूरी तरह से साफ हो जाती है। आपको बता दें कि अगर तालाब की सफाई करनी है तो उपयोग किए जा चुके पराली के डिस्पोजेबल बर्तन को उसमें फेंक दें। 12 घंटे के बाद निकालने से तालाब पूरी तरह से साफ हो जाएगा। पराली के डिस्पोजेबल से खाद भी तैयार की जा सकती है। अगर इसके साथ गोबर को मिला दिया जाए तो 10 से 15 दिन में खाद बन जाती है।