International children’s day: अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस विभिन्न देशों में 1 जून को मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व यह है की बच्चे अपने अधिकारों को समझे और अपने भविष्य के लिए अच्छी शिक्षा पर जोर दें। हम सभी को पता है की बच्चे मन के सच्चे होते है वो कभी झूठ नहीं बोलते मगर कभी उन्ही बच्चों पर ऐसी मुसीबत आन पड़ती है की को अपने बचपन के दिनों से ही जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाते है। ऐसा इसलिए होता है की उन बच्चों की अच्छी परवरिश करने वाला शायद अच्छी शिक्षा से होकर न गुजरा हो और जिसे शिक्षा का महत्व ही न पता हो वो अपने बच्चों के भविष्य के लिए क्या ही सोचेगा।
हमने कई बार देखा होगा की छोटे छोटे बच्चे अपने पढ़ने व खेलने की उम्र में मजदूरी करते दिखाई देते है ताकि उनके घर पर सुकून की रोटी बन सके इसलिए कही वो बारात में लाइट स्टेंड सिर पर रक्खे हुए मिलते है कही होटल पर बर्तन धुलते हुए नजर आते है।
बच्चों से नही करा सकते मजदूरी
ये तो हम सभी जानते है की बच्चों से कोई भी मजदूरी नहीं करा सकता यदि ऐसा करता कोई पकड़ा जाता है तो ऐसे लोगों पर कठोर कार्यवाही की जाती है। इसके लिए भी कानून बना है और बच्चों को समय समय पर जागरूक भी किया जाता रहा है। यही नहीं कई बार लेबर इंस्पेक्टर के द्वारा बाजारों में छापेमारी भी की जाती है की कही कोई दुकानदार बच्चों से मजदूरी तो नही करा है।
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की कब हुई शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की शुरुआत 1925 में जिनेवा में बाल कल्याण पर विश्व सम्मेलन के दौरान की गई थी। 4 नवंबर, 1949 को मॉस्को में महिला अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ ने 1 जून को बच्चों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। 1950 के बाद से, 1 जून को कई कम्युनिस्ट और कम्युनिस्ट-उत्तर देशों में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने वाले देशों में चीन, रूस, यूक्रेन, पोलैंड, बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी, मंगोलिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मोल्दोवा, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं।