लखीमपुर खीरी: शुक्रवार की सुबह करीब 6 बजे थाना निघासन अंतर्गत लुधौरी के मजरा गोविंदपुर फार्म निवासी बलविंदर सिंह उर्फ बिट्टू गांव में बने अपने घर के आंगन में बैठे चाय नास्ता कर रहे थे। तभी अचानक वहां पहुंचे तेंदुए ने उनपर हमला कर दिया। जिससे उनके हाथ-पैर जख्मी हो गए। शोर मचाने पर घर के आसपास के लोग एकत्र हो गए और शोरगुल सुनकर तेंदुआ पड़ोस में बने सरजीत सिंह उर्फ जोगा के घर में जा पहुंचा। सरजीत सिंह भी चाय पीने जा रहे थे। तेंदुआ देखकर उन्होंने पत्नी और भाई बलजिंदर सिंह से बच्चों को कमरों में जाने के लिए शोर मचाया।
तभी तेंदुए ने सरजीत सिंह पर भी हमला बोल दिया। सरजीत सिंह ने तेंदुए से भिड़कर मुकाबला किया। लेकिन उसके अचानक हुए हमले से सरजीत सिंह के भी हाथ-पैर जख्मी हो गए। शोरगुल सुनकर उसके चाचा बल्देव सिंह (68) उसके घर की ओर आ गए। तेंदुए ने सरजीत सिंह को छोड़कर बल्देव सिंह पर हमला कर उनके एक हाथ की उंगलियां चबा डालीं। तभी पास में पड़े लोहे के पंजे से तेंदुए पर वार व शोरगुल करने पर वह बल्देव सिंह के घर के बाहर पक्की दीवारों पर टिनशेड चढ़ाकर बनी उनके बग्गर में घुस गया। शोरगुल सुनकर वहां भारी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ एकत्र हो गई और उन्होंने भुसैली को घेर लिया और लुधौरी रेंज और कोतवाली पुलिस को सूचना दी। सूचना के लगभग सवा घंटे बाद क्षेत्रीय वनाधिकारी गजेंद्र सिंह, वन दारोगा चंद्रसेन सिंह व घनश्याम जायसवाल समेत उनकी टीम और कोतवाल सुरेश मिश्र पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे। थोड़ी ही देर बाद मझगईं रेंजर अंकित कुमार, वन दारोगा मनोज यादव, भूपेंद्र सिंह और प्रहलाद सिंह भी पहुंच गए। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को वहां से हटने और तेंदुए को वहां से भगा देने की बात कह दी जिससे ग्रामीणों ने आक्रोशित होते हुए तेंदुए को वहां से भगाने की बजाय उसे पकड़कर ले जाने की जिद पर अड़ गए।
ग्रामीणों ने वन विभाग के डीएफओ समेत एसडीएम और तहसीलदार को फोन कर मामले की जानकारी दी जिस एसडीएम अश्वनी कुमार सिंह व नायब तहसीलदार दिव्यांशु शाही क्षेत्रीय लेखपाल शिवम गुप्ता व कानूनगों के साथ मौके पर पहुंच गए। तभी मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम के पास जाल आदि न होने से ग्रामीण भड़क गए और नोकझोंक होने लगी तभी रेंजर गजेंद्र सिंह व प्रभारी निरीक्षक सुरेश मिश्रा ने उनको काफी समझाया। जब लुधौरी रेंज की टीम ने साढ़े नौ बजे कहीं से एक जाल लेकर पहुंची तब ग्रामीण शांत हुए। लगभग दस बजे जाल को बग्गर के चारो ओर बांध दिया गया। वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने तेंदुए को बेहोश कर पकड़ने के लिए बहराइच जिले के कतर्नियाघाट रेंज के मोतीपुर से ट्रैक्युलाइजिंग टीम को बुलाया। इस दौरान आसपास के घरों की छतों पर लोगों की भारी भीड़ लगी रही।
मौके पर डीएफओ सौरिश सहाय, बेलरायां रेंज की एसटीपीएफ टीम के तेजनरायन, फैयाज, अशोक और वन दारोगा श्याम सिंह, दुधवा बफर जोन के एफडी ललित कुमार वर्मा, एसडीओ मनोज कुमार तिवारी भी मौके पर पहुंच गए। दोपहर लगभग बारह बजे मोतीपुर से ट्रैक्युलाइजिंग टीम पहुंच कर मौका मुआयना किया और उसके बाद दीवार पर सीढ़ी लगाकर बने होल से गन की नाल अंदर डाली। इस पर भूसे के ढेर में बैठा तेंदुआ हमलावर होकर गन की नाल पर झपट पड़ा। उसने नाल मुंह में दबाकर भीतर खींचने का प्रयास किया लेकिन दो लोगों ने किसी तरह गन को पकड़कर बाहर की ओर खींचा। तेंदुए ने अपनी पोजीशन बदलते हुए भूसे के ढेर में गड्ढा बना लिया और उसमें घुसकर बैठ गया। उसका केवल सिर ऊपर दिख रहा था। सुबह से भूसे में बैठा तेंदुआ भूसे और तपती टिन की तपिश के साथ भूख-प्यास की वजह से भी हांफ रहा था। इसके बाद टीम ने पाइप के जरिए बग्गर में पानी डाला । लभगभ तीन घंटे से ट्राइकुलेजम के लिए काफी मशक्कत कर रहे डॉक्टर ने गन की डॉट तेंदुए के गर्दन में दाग दी। पांच मिनट बाद बेहोश हुए तेंदुए को बग्गर से निकालकर पिंजड़े में डालकर लुधौरी रेंज ले जाया गया। जहां डॉक्टरों की टीम ने उसकी जांच करते हुए पानी डालकर उसे होश में लाकर उसे बकरे का मांस खिलाया गया।
लुधौरी रेंज के गोविंदपुर फार्म से टीम द्वारा तेंदुए का रेस्क्यू किया गया जोकि मादा है। तेंदुए की उम्र 3-4 साल के आसपास है। डॉ. दीपक की टीम द्वारा तेंदुए का शारीरिक परीक्षण कर रही है। प्रथमदृष्ट्या तेंदुआ पूरी तरह स्वस्थ है। वन विशेषज्ञों की रिपोर्ट मिलने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
सौरीष सहाय, उपनिदेशक, दुधवा बफर जोन