रिपोर्ट:- शरद मिश्रा”शरद”
निघासन, लखीमपुर खीरी। इंडो नेपाल बार्डर स्थित तहसील निघासन मुख्यालय पर 19 सालों से बनकर तैयार खड़ा पोस्टमार्टम हाउस स्टाफ की कमी के चलते चालू नहीं हो पाया है। खंडहर में तब्दील हो चुके पोस्टमार्टम हाउस का कई बार रंगरोगन भी कराया गया, लेकिन यह कब चालू होगा इसका जवाब अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों के पास भी नहीं है।
आखिरकार पिंजरे में कैद हुआ आतंक का पर्याय बना तेंदुआ, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस।
कस्बे के सिंगाही रोड पर 21 साल पहले पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण करीब तीन लाख रुपये की लागत से किया गया था। अब देखरेख के अभाव में यह भवन खंडहर में तब्दील हो गया, सपा सरकार में लोगों की मांग पर निर्माण एजेंसी ने रंगरोगन और मरम्मत कराने के बाद स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर कर दिया था। तत्कालीन सीएमओ ने इसे शीघ्र चालू कराने का आश्वासन देते हुए सीएचसी में तैनात तत्कालीन फार्मासिस्ट बीएन सिंह और डा. पीके रावत को जिले पर प्रशिक्षण भी दिया गया, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। खीरी सांसद के प्रयास से करीब डेढ़ साल पहले एक बार फिर इसका रंगरोगन कराया गया और स्वास्थ्य महकमे के तत्कालीन सीएमओ डा. मनोज अग्रवाल ने बिजली कनेक्शन आदि करवा दिया। करीब एक साल से बिजली का बिल भी आ रहा है, लेकिन पोस्टमार्टम हाउस कब तक चालू होगा यह कह पाना मुश्किल है।
पोस्टमार्टम हाउस चालू होने से तिकुनिया, बेलरायां, सिंगाही, ढखेरवा, पढुआ, रकेहटी, सलीमाबाद, बम्हनपुर, झंडी समेत समूची तहसील को करीब 100 किलोमीटर दूरी पर शव को अतिरिक्त धन खर्च करके नहीं ले जाना पड़ेगा।
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