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बाढ़ प्रभावित गावों में जमा गंदगी से बीमारियों ने लिया जन्म, अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या।

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निघासन खीरी: मौसम में परिवर्तन के साथ क्षेत्र में लोगों के सेहत पर काफी असर पड़ रहा है। वही क्षेत्र में आयी भीषण बाढ़ ने न जाने कितनी बीमारियों को जन्म दिया है।
इन दिनों नदियों का जलस्तर घट रहा है। बाढ़ का पानी निकल कर नदी में समा रहा है। बाढ़ प्रभावित गावों में जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, वैसे-वैसे पानी में मछली जैसी दुर्गंध बाढ़ प्रभावित गांवों में फैलती जा रही है। हल्की सी हवा चलते ही घरों में भी लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जा रहा है। सर्दी, खांसी, बुखार एवं सांस की दिक्कतों की शिकायतें एक-दो घरों से नहीं बल्कि लगभग घर-घर से आ रही है।
हालांकि बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुँच लोगों को सचेत करते हुए दवाइयां भी बांटी थी। मगर उसका कुछ खास असर देखने को नही मिला। अगर इन बीमारियों की वजह असल मायने में देखी जाए तो वो है बाढ़ प्रभावित गांवों में बहकर आई जमा गंदगी। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था बिल्कुल भी दुरुस्त नही है और न ही जिम्मेदारों के द्वारा गांवों में दवा की छिड़काव किया जा रहा है। निघासन सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर पीके रावत ने बताया कि बाढ़ के बाद डायरिया व बुखार के मामले बहुत आ रहे है, कुछ मामले डेंगू के भी आये है, सबसे ज्यादा मरीज चर्म रोग जैसे दाद, खाज व खुजली के आ रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि बीमारियों की असल वजह गंदगी होती है। बाढ़ का पानी जब गांवों में घुसा तो अनेक बैक्टीरिया जमा हो गए। पानी सूखने के बाद वही बैक्टीरिया बीमारियों को जन्म दे रहे है, ऐसे में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, बाढ़ प्रभावित गावों में कैम्प लगाकर दवा का वितरण भी किया जा रहा है।

दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

पत्रकारिता जगत में एक ऐसा नाम जो निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाना जाता है।

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