रिपोर्ट:- शरद मिश्रा”शरद”
निघासन(लखीमपुर खीरी)। एक ऐसा विद्यालय जो कभी क्षेत्र की शान हुआ करता था या यूं कह लें कि क्षेत्र के बहुत सारी छात्राएं इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर आगे बढ़ी। मगर अफसोस इस बात का है कि आज यह विद्यालय कुछ ईंटो का ढांचा मात्र रह गया है।
तहसील निघासन के दो ऐसे विद्यालय जो सिर्फ छात्राओं के लिए ही सरकार द्वारा निर्मित किये गए थे। एक तो निघासन का कन्या पाठ शाला और दूसरा झंडी में निर्मित कन्या पाठशाला। क्षेत्र के लोगों को अफसोस इस बात का है कि सम्पूर्ण तहसील में मात्र दो कन्या पाठशाला थे जिसमें झंडी गाँव मे स्थित प्राइमरी कन्या पाठशाला सरकार की उदासीनता के कारण बंद कर दिया गया। आज हालात यह है कि झंडी में निर्मित किये गए कन्या पाठशाला को बंद हुए लगभग 30 साल हो गए है तब से लेकर आज तक बंद पड़े कन्यापाठ शाला की ईमारत अपनी दुर्दशा पर आंशू बहाने को मजबूर है।
गाँव के जानकार बताते है कि यह कन्या पाठशाला विद्यालय लगभग 1902 में शुरू किया गया था तब इसकी प्रधानाचार्य रमादेवी पत्नी शम्भूनाथ थी इन्होंने इस विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने में कोई कोर कसर बाकी नही रक्खी और यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग मुकाम हांसिल करने लगा था। उनके ट्रांसफर के बाद इसकी बांगडोर रामपती देवी निवासी बम्हनपुर ने संभाली तब भी यह विद्यालय ठीक चला मगर लगभग सन 2002 में सरकार के द्वारा एक आदेश आया कि जिस पंचायत के गाँव में प्राथमिक विद्यालय व कन्या पाठशाला दोनों है तो उस जगह से कन्या पाठशाला को बंद कर ऐसी जगह शुरू किया जाए जहां प्राथमिक विद्यालय न हो जिसके चलते झंडी गाँव के कन्या पाठशाला स्कूल को सिसवारी शिफ्ट किया गया। तब से लेकर आज तक विकासखण्ड निघासन के गाँव झंडी का कन्यापाठ स्कूल बंद है।
सरकार के एक आदेश के बाद दशकों से वीरान पड़ी ये जगह, कभी यहां हुआ करता था कन्या पाठशाला।
By दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक
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