रिपोर्ट:- शरद मिश्रा”शरद”
निघासन, लखीमपुर खीरी। जनपद लखीमपुर खीरी की तहसील निघासन अंतर्गत किसान परंपरागत खेती के अलावा अलग हटकर भी खेती करते हैं। यहां गन्ने की खेती बहुतायत होती है। केला और औषधीय खेती भी किसान करते हैं। अब किसान पपीते की खेती कर रहे हैं। ब्लॉक निघासन अंतर्गत बरोठा पंचायत में इसकी खेती की शुरुआत लगभग दो साल पूर्व शुरू हुई अब इस खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है।
पपीता की खेती करने वाले किसानाें की आमदनी देख कई किसानों ने इसकी शुरुआत भी की है। किसान बताते हैं कि इस खेती से प्रति एकड़ सालाना लाखों रुपये की आमदनी हो जाती है।
ग्राम पंचायत बरोठा के मजरा देवीदीन पुरवा निवासी नेतराम ने पपीता की खेती को आर्थिक प्रगति का माध्यम चुना। परिणाम स्वरूप बेहद कम समय में ही पपीते की खेती कर नेतराम ने अपनी तकदीर को बदल कर रख दिया। पपीता की खेती कर वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
नेतराम ने बताया की शुरू में इन्होंने दो बीघा खेती शुरू की जिसमे लगभग 250 पौधे लगवाए। यह फसल लगभग 6 माह में तैयार हो जाती है और बाजार में वो पपीते को 70 से 80 रू० किलो के भाव से बेचते है। उनका यह भी कहना की इस पपीते की खेती से वो संतुष्ट है बस पक्षियों से फल को बचाना पड़ता है। धीरे धीरे फसल को बढ़ाना चाहते है और कई लोग नेतराम के पास इस फसल को पैदा करने के गुण सीखने आते है।
किसान ने शुरू की ऐसी खेती जो गन्ने व केले की फसल से भी ज्यादा देती है मुनाफा।
By दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक
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