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लखनऊ की भूलभुलैया को तो आपने देखा होगा मगर क्या लखीमपुर खीरी की इस भूलभुलैया के बारे में आप जानते है?

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रिपोर्ट:- शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी। लखनऊ की भूलभुलैया के बारे में तो हम लोगों ने सुना भी होगा और देखा भी होगा मगर क्या आपने यूपी के सबसे बड़े जनपद लखीमपुर खीरी में स्थित भूलभुलैया के बारे में जानते है अगर नही तो चलिए आज हम आपको लखीमपुर खीरी में स्थित भूलभुलैया के बारे में बताते है।

लखीमपुर खीरी में स्थित भूलभुलैया का इतिहास।

जनपद लखीमपुर खीरी मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित नगर पंचायत सिंगाही में स्थित यह भूलभुलैया अपने आप में एक अनूठी कला है। यह भूलभुलैया समृद्ध रियासत खैरीगढ़ स्टेट की राजधानी सिंगाही का हिस्सा है।
जिसका भव्य भवन और शिव मंदिर इसके वैभव को दर्शाते है। इस भूलभुलैया को महारानी सुरथ कुमारी शाह ने बनवाया था जो सिंगाही राजमहल से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस भूलभुलैया में बना शिव मंदिर अनूठी शिल्पकला की बेजोड़ कलाकृति है। मंदिर के शिलालेख के अनुसार इस भूलभुलैया का निर्माण सन् 1927 में तत्कालीन खैरीगढ़ स्टेट की महारानी सुरथ कुमारी शाह ने अपने पति दिवंगत राजा इंद्र विक्रम शाह की स्मृति में कराया था। उन्होंने इस भव्य और विशाल मंदिर में नर्मदेश्वर महादेव की स्थापना की। तंत्र साधना के लिए भी यह मंदिर जाना जाता है।
यह भूलभुलैया सिंगाही कस्बे से डेढ़ किलोमीटर दूर पवित्र सरयू नदी के तट पर प्राकृतिक परिवेश में बना हुआ है। मंदिर का प्रवेशद्वार दक्षिण की ओर है और नीचे के प्रखंडों में चारों ओर प्रवेश मार्ग है। जिनमें सीढ़ियां बनी हुई हैं, जो तीनों प्रखंडों को आपस में मिलाती हैं। यह द्वार तंत्र साधना और सुरक्षा के लिए निर्मित कराए गए हैं। यह द्वार दर्शकों को भ्रम में डाल देते हैं। क्योंकि इसकी ऊंचाई समान और वास्तु शिल्प एक जैसी है। इसलिए इसे भूलभुलैया कहते हैं। इन दिनों सिंगाही की यह भूलभुलैया अपने अस्तित्व व वैभव को खोती हुई नजर आ रही है जिसका मुख्य कारण यह है की इसकी देख रेख सही से नहीं पा रही है। क्षेत्रवासियों की मांग है की यदि इसे टूरिज्म का दर्जा मिल जाए तो यह धरोहर फिर से अपनी खोई हुई पहचान को वापस पा सकती है। इससे यहां रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे।

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दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

दीप शंकर मिश्र"दीप":- संपादक

पत्रकारिता जगत में एक ऐसा नाम जो निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाना जाता है।

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