लखीमपुर खीरी: लोकसभा चुनाव में कई सीट पर भाजपा की किलेबंदी कमजोर हुई। कई लोकसभा सीटों पर भाजपा के मजबूत किले की दीवारें भी इस बार हिलती-डुलती नजर आई। हालांकि यूपी में कई भाजपा उम्मीदवार जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए। बात करें खीरी और धौरहरा लोकसभा की तो यहां भाजपा का पूरा किला ही ढह गया। खीरी में निघासन और पलिया विधानसभा को छोड़कर बाकी में सपा आगे रही। भाजपा सपा से कैसे पीछे हुई इसको लेकर हाईकमान ने समीक्षा शुरू कर दी है। वोटों के गणित की गोपनीय रिपोर्ट मांगी है।
खीरी और धौरहरा लोकसभा सीट पर जहां भाजपा विरोधियों को आसपास नहीं आने देती थी वहां इस बार हालात बदले हुए हैं। दोनो सीटों में भाजपा को कम वोट मिले और हार गई। जबकि जिले की हर सीट में भाजपा के विधायक काबिज हैं। लोकसभा खीरी और धौरहरा में भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं के भितरघात करने की चर्चा है। भाजपा के कई नेताओं की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। लोकसभा खीरी में भाजपा की कहानी लोकसभा धौरहरा से अधिक उलझी हुई है। यहां तो निघासन और पलिया को छोड़कर बाकी विधानसभाओं में भाजपा का बुरा हाल हुआ। जबकि पिछले चुनावों में भाजपा बेहतर करती आ रही है। भाजपा के कई पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि चुनाव प्रचार में सिर्फ रस्म आदयगी करते नजर आए।
हाईकमान दोनों सीटों पर हार के कारण पता करने में लग गया है। समीक्षा की जा रही है। भाजपा के कुछ भरोसेमंद नेताओं से जयचंदों के नाम सबूत के साथ मांगे हैं। सूत्रों के मुताबिक खीरी और धौरहरा के भितरघातियों की सूची तैयार हो गई है। जो नाम यहां से जाएंगे उनको हाईकमान क्रास चेक भी करेगा। उसके बाद जयचंदों पर कार्रवाई की गाज गिरेगी।